विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आदिवासी अंचल में लो वोल्टेज की समस्या से निजात पाने चारूवा से मोरगढ़ी  के बीच डाली जा रही अतिरिक्त 11 के व्ही लाईन


हरदा।आदिवासी अंचल में लंबे समय कम बोल्टेज की समस्या बनी हुई है।उससे निपटने के लिए सरकार की आर.आर.आर.डी.एस. योजना के तहत चारूवा से मोरगढ़ी के बीच लगभग 12 कि.मी.लंबी 11 के.व्ही बिजली लाईन डाली जा रही है।करीब 80 लाख रुपए की लागत किए जाने वाले इस बिजली लाईन का कार्य पूरा हो जाने के बाद मोरगढ़ी के पास से इस अतिरिक्त लाईन को पहले से कार्य कर रही लाईन में जोड़कर चारूवा से मोरगढ़ी के बीच उपभोक्ताओं के दबाब को छोड़कर आगे आने वाले आदिवासी अंचल के दर्जनों गांवों में सीधे पर्याप्त वोल्टेज पहुंचाया जा सके।ताकि वर्षो से कम वोल्टेज की समस्या से जूझ रहे आदिवासी किसानों के खेतो में समय सिंचाई हो सके और लो वोल्टेज के कारण सूखे पड़े आदिवासी किसानों के खेतो में भी हरी भरी फसले लहलहा सके।किंतु उक्त कार्य को करने वाली कंपनी की मनमानी और गुणवत्ता पूर्ण कार्य न कर मनमाने ढंग से कार्य किए जाने के कारण कार्य पूर्ण होने के पश्चात कब ये लाईन धराशाही हो जायेगी इसका कोई अनुमान नहीं है।

जानकारी अनुसार के.के.कंट्रक्शन कंपनी को इसका ठेका मिला है।
किंतु बिजली लाईन का कार्य करने  वाली कंपनी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने से गुरेज कर रही है।चारूवा से मोरगढ़ी तक 11के.व्ही. लाईन के लगाए गए बिजली के पोल सड़क के साईड सोल्डर से सटकर  बेतरतीब लगा दिए गए।निर्धारित मापदंडों की अनदेखी की गई।बिजली के पोल गाड़ते समय खोदे गए गड्ढों में पोल गाड़ते समय न तो बोल्डर डाले गए न पर्याप्त  मुरम डाली गई और ना ही उन्हे व्यवस्थित ढंग से भरा गया।केवल जैसे तैसे मिट्टी से भरा गया।निर्धारित मापदंड और नियमानुसार जहां पोल्स को गाड़ते समय सीमेंट कांक्रीट भी नही डाली गई।इसका नतीजा यह होगा कि निकट समय में पोल टेढ़े होकर धराशायी हो जाएंगे और संबंधित ठेकेदार अपना कार्य पूरा करने के बाद पल्ला झाड़ लेगा।विभाग की ओर से लगातार कार्य की मॉनिटरिंग की जा रही हो ऐसी स्थिती नजर नहीं आती मोरगड़ी से चारूवा के बीच तेजी से कार्य चल रहा आगे और जल्द ही कार्य पूर्ण हो जायेगा ।पूर्व में में भी संबंधित विभाग का ध्यान इस और आकर्षित कराया था किंतु ठेकेदार के प्रभाव के चलते अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और ना  ही तय मापदंड और गुणवत्ताहीन कार्य को दुरुस्त कराया गया जब इस कार्य को देख रहे कम्पनी के अधिकारी से तकनीकी स्वीकृति  जाननी चाही तो उन्होंने आनाकानी कर दी।ऐसे में सरकार की महती योजना ठेकेदार की मनमानी के चलते आदिवासी अंचल के लिए जिस उद्देश्य को लेकर स्वीकृत की गई है वह पूरा नहीं हो पाएगा और और ठेकेदार की मनमानी के कारण आदिवासी योजना का सही ढंग से लाभ ले पाने से वंचित रह जाएंगे।

जान जोखिम में डालकर कर्मचारी कर रहे काम चारूवा से मोरगढ़ी के बीच डाली जा रही 11 के. व्ही लाईन पर कार्य कर रहे कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे है।विद्युत पोल पर बैगर किसी बचाव के संसाधनों के अपना और परिवार का पेट पालने के लिए कार्य कर रहे है।निर्माण कार्य का ठेका लेने वाली कंपनी ने अपने कर्मचारियों को जोखिम से बचने के लिए बचाव के कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराए।इसे यदि किसी प्रकार की अनहोनी होती है तो आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा  यह समझ से परे है।इस संबंध में कंपनी के डी ई आर के अग्रवाल से चर्चा करना चाहा तो उनका मोबाईल किसी और ने रिसीव किया और बताया कि श्री अग्रवाल अभी भोपाल में मीटिंग में है लौटने पर बात कराई जाएगी।उनको वाट्स एप पर ठेकेदार द्वारा बरती जा रही लापरवाही से अवगत कराया किंतु उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

न्यूज़ सोर्स : संजय नामदेव - 8959791234