मध्यप्रदेश में मतदाताओं ने अपना फैसला कर दिया है । और सभी की नज़र चुनाव परिणाम पर टिकी हुई है। वही एक्जिट पोल भी आ गए है,अगर रिजल्ट के बाद प्रदेश में BJP ओर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नही मिलता है तो निर्दलीय ऒर छोटे दलों के उम्मीदवार किंगमेकर की भूमिका निभा सकते है। ऐसी स्थिति में मुख्य राजैतिक दलों की निगाहें: पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, अंतर सिंह दरबार,हर्षवर्धन सिंह चौहान, नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ शुक्ला सहित आधा दर्जन चेहरों पर टिकी हुई है 

मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे तो भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी। एमपी में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में किंगमेकर की भूमिका में निर्दलीय,सपा और बसपा के विधायक थे। रिजल्ट से पहले एक बार फिर 2018 वाली स्थिति को लेकर पूर्वानुमान लगाए जा रहे हैं।भाजपा और कांग्रेस समेत प्रदेश के रणनीतिकारों की नजर, निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवारों पर टिकी हुई है। जिनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है या कुछ सीटों पर उनके जीतने की संभावना ज्यादा है। पूरे प्रदेश में ऐसे चेहरों की संख्या आधा दर्जन से अधिक हो सकती है।

3 दिसंबर को देश के 5 राज्यो में हुए मतदान के नतीजे आएंगे। जिसमे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान प्रमुख है लेकिन मध्यप्रदेश आरएसएस का गढ़ होने के कारण मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के चाणक्य अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुट गए है MP में BJP 150 पार की बात कर रही है तो वही कांग्रेस भी 150 प्लस सीटें जीतने का दावा कर रही है। वोटिंग से पहले आए ओपिनियन पोल में दोनों में से कोई दल बहुमत के आंकड़े के करीब नहीं पहुंच रहा था। प्रदेश में सट्टा बाजार भी इसी ओर इशारा कर रहा है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां निर्दली,सपा ओर BSP को साधने की जुगत में जुट गई है। इनमें से अधिकांश चेहरे इन्हीं दलों से बागी होकर चुनावी मैदान में हैं।

# नारायण त्रिपाठी जीत सकते हैं चुनाव #

बीजेपी ने इस बार मैहर विधानसभा से नारायण त्रिपाठी को टिकट नहीं दिया । पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप के चलते BJP ने नारायण त्रिपाठी का टिकट काट दिया । इसके बाद नारायण त्रिपाठी ने विंध्य विकास पार्टी बना ली ओर अपनी ही पार्टी से नारायण त्रिपाठी मैहर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। वोटिंग के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि नारायण त्रिपाठी चुनाव जीत सकते हैं। इनकी नजदीकियां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से है।

# बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बेटे भी निर्दलीय चुनाव मैदान में है #

बहुचर्चित बुरहानपुर विधानसभा सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस की पैनी नजर है। इस सीट से वर्तमान में निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा विधायक हैं। हालांकि शेरा शुरू से कांग्रेस के साथ रहे हैं। सुरेंद्र सिंह शेरा इस बार कांग्रेस में शामिल हो गए और  पार्टी ने शेरा पर विश्वास जताते हुए उन्हें  टिकट दिया है। बीजेपी ने अर्चना चिटनिस को अपना उम्मीदवार बनाया है। अर्चना चिटनिस को टिकट मिलने के बाद, बीजेपी के पूर्व प्रदेशअध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान ख़फ़ा हो गए। ओर हर्षवर्धन सिंह चौहान बीजेपी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। स्थानीय जानकारों के अनुसार हर्षवर्धन सिंह चौहान BJP ओर कांग्रेस दोनों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अगर चुनाव जीतते हैं तो बीजेपी इन्हें मनाने की भरपूर  कोशिश करेगी।

# अलोट से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू पर  कांगेस की नज़र #

कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू भी अलोट विधानसभा चुनाव से टिकट मांग रहे थे। पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अलोट विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में दम दिखा रहे हैं। पार्टी से इस्तीफा देने के बाद प्रेमचंद गुड्डू ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर कई आरोप लगाए  इन पर भी भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर है। गौर करने वाली बात है कि प्रेमचंद्र गुड्डू 2018 में भाजपा में शामिल हो गए थे लेकिन 31 मार्च 2020 में फिर से कांग्रेस में वापसी कर ली थी।

# महू में अंतर सिंह दरबार भी मैदान में #

महू विधानसभा सीट पर वर्तमान में  भाजपा का कब्जा है। इस विधानसभा में सबसे ज्यादा चर्चे अंतर सिंह दरबार के हो रहे है। क्योकि अंतर सिंह दरबार 1998 से 2008 तक 2 बार महु विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो दरबार निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि महू में अंतर सिंह दरबार का पलड़ा भारी दिख रहा है। कांग्रेस ने फिर से उन पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।

#सीधी विधानसभा से केदारनाथ शुक्ला भी अपना लोहा मनवा रहे है #

सीधी पेशाब कांड तो सबको पता ही है , पेशाबकांड ओर दलितों की नाराज़गी की वजह से भाजपा ने इस बार अपने सीटिंग MLA केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया  केदारनाथ की जगह सांसद रीति पाठक पर BJP ने दाव खेला। लेकिन सीधी में केदारनाथ शुक्ला ने रीति पाठक की मुश्किलें बढ़ाई हुई है। अगर केदारनाथ रीति पाठक को टक्कर देते है तो इसका सीधा-सीधा फायदा कांग्रेस को फायदा हो सकता है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में करीब एक दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार राष्ट्रीय दलों का खेल खराब कर सकते हैं। इनमें गोटेगांव से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार शेखर चौधरी निर्दलीय लड़ रहे हैं। सिरमौर में बीएसपी ने बीजेपी उम्मीदवार की चुनौती बढ़ा दी है। धार में बीजेपी के बागी राजू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। सिवनी मालवा में ओम रघुवंशी निर्दलीय मैदान में हैं। इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कुल मिलाकर अगर मध्यप्रदेश में 2018 जैसी स्थिति बनती है तो निर्दली ओर बागी किंगमेकर बन सकते है । अब देखना ये है कि चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है 

 

 

 

न्यूज़ सोर्स : सलीम शाह हरदा 8982369770